रक्षाबंधन का शुभ सन्देश।

रक्षाबंधन का शुभ सन्देश। 

 
रक्षाबंधन के शुभ अवसर पे सभी बहनों ने अपने भाई को राखी बाँधी, हर भाई ने अपनी बहन से रेशम के धागे बंधवा के ढेर मनचाहे उपहार दिये। पर इस धागे का उद्देश्य को समझना बहुत जरूरी हैं।  आज भी हमारे देश में महिलाओं को हर कदम पे एक चुनौती का सामना करना पड़ता हैं।  आज समझें इस लेख के जरिये, कैसे जुड़े हैं ये दोनों कथन एक-दूसरे से।       





रक्षाबंधन का त्योहार हर साल सावन मास के पूर्णिमा के दिन मनाया जाता हैं | रक्षाबंधन पे बहन अपने  भाई को राखी बांधती हैं तथा एक-दुसरे को सदैव साथ देने का और हर परिस्थिति में रक्षा करने का वचन देते हैं |    
जैसा की नाम से वर्णित हैं, रक्षाबंधन अर्थात रक्षा के लिए बंधा गया बंधन |      

रक्षाबंधन  का इतिहास  

करीब 6 हज़ार साल पहले रक्षाबंधन की शुरूआत  हुई थी | रानी कर्णावती और सम्राट हुमायुँ द्वारा | जब रानी  कर्णावती ने एक राखी के द्वारा अपनी रक्षा की मदद मांगी थी सम्राट हुमायुँ से |    
मध्यकालीन युग में राजपूतो  और मुस्लिमों के बीच युद्ध चल रहा था, तब चितौड़ के राजा की विधवा पत्नी रानी कर्णावती ने गुजरात के सुल्तान बहादुर शाह से अपनी तथा अपने राज्य की सुरक्षा के लिए हुमायुँ को राखी भेजी थी | तब हुमायुँ  ने उनकी रक्षा कर उन्हें बहन का दर्जा दिया था |     

वैसे देखा जाये तो रक्षाबंधन का इतिहास इससे भी पुराना हैं | यह घटना हैं महाभारत के समय की | जब भगवान कृष्ण ने राजा शिशुपाल को मारा था  अपने  सुदर्शन चक्र से | सुदर्शन चक्र  के वापस आने पे भगवान कृष्ण की उँगली थोड़ी कट गयी थी तथा उँगली से खून बहने लगा, इसे देख द्रौपदी  ने अपनी साडी का टुकड़ा चिर कर भगवान कृष्ण की उँगली में बांध दिया, जिससे उनका खून बहना बंद हो गया |    
द्रौपदी की  इस उदारता से प्रशन्न हो कर भगवान कृष्ण ने उन्हें वचन दिया कि समय आने पे वो एक-एक धागे का कर्ज चुका  देंगे | और चीरहरण के दौरान जब द्रौपदी को किसी से सहायता नहीं मिली तो स्वयं भगवान कृष्ण ने  प्रकट हो कर अपने वचन को निभाया तथा अपने  बहन की रक्षा की |       

  

यह त्योहार हैं ही अनूठा |  एक गहरी सन्देश को छुपायें हुए |   
जब  रिश्ता  भरोसे  का  हो  तो   एक   धागा भी  अधिक  मूल्यवान हैं।   फिर  महँगी , सजी -धजी  राखियों   की  क्या  जरूरत  | 
क्या रक्षाबंधन का बस यही सन्देश हैं ? 

नहीं, आइये देखें  कितना महत्वपूर्ण हैं ये अनूठा त्योहार |      

यु तो दूरदर्शन पे, पत्रिका में तथा अनेक वाद-विवाद में यह मुद्दा उठते ही रहता हैं कि हमारे देश में लड़कियो की संख्या कम हैं  लड़को  के अनुपात में | हाँ, ये दुःख की बात हैं | लड़कियो के प्रति आज भी समाज में जागरूकता कम हैं | पर क्यों ?    
क्यों संतान सर्वोपरि होने के बावजूद आज भी कोई माँ कोई पिता अपने ही संतान को गर्भः में ही ख़त्म कर देते हैं ? 
यह एक अपराध तो हैं ही साथ ही बहुत दुखदाई भी हैं।  पर यह अपराध क्यों ?    
क्या इस अपराध के पीछे हमारा समाज जिम्मेदार नहीं ? क्या हमारा  समाज आज आधुनिक युग में भी स्री को वो सम्मान दे रहा हैं जिसकी वो हक़दार हैं ?    
क्या एक स्री सुरक्षित हैं हमारे समाज  में ?     

नहीं, बिल्कुल नहीं।   
यह लेख भूर्णहत्या का समर्थन नहीं कर रहा, बल्कि उजागर करना चाहता हैं उन अपराधी माँ-बाप की मज़बूरी।  वो मजबूर हैं इस समाज में। वो अपने संतान की रक्षा नहीं कर पाएंगे , क्योकि स्त्री को हर कदम पे एक नए चुनौती का सामना करना पड़ता हैं। 
यह डर हैं  उन अपराधी माँ-बाप की। एक अपराधी भी इंसान हैं, उन्हें भी पीड़ा होती हैं।  पर वो मजबूर हैं, डरता हैं इस समाज से और वो अपराध करता हैं।     
पर अपराध तो अपराध हैं न। क्या हम सामाजिक प्राणी का कर्तव्य नहीं की हम दोष देने के बजाय कोई समाधान ढूंढे? अपराधी को मिटाने के जगह अपराध की वजह को मिटा दे।     
  
हर समस्या का समाधान हैं तो इसका भी समाधान हैं।    
और यह समाधान छुपा हैं रक्षाबंधन के इस पवित्र त्योहार में। 

सोचिये जरा वाद-विवाद की इस मुद्दा से हमें क्या सन्देश हैं ?     

यही  कि आज भी लड़कियो की संख्या लड़कों से कम हैं।  अगर एक लड़का मात्र एक लड़की से यह वादा करें कि मैं आजीवन तम्हारी रक्षा करूंगा एक भाई बन कर। तो भी समाज में सभी लड़किया सुरक्षित हो जाएँगी। बहुत आसानी से मिल गया ना समाधान। 
 
हम  नवयुग के  नए   पीढ़ी  अगर  इस  समाधान  पर  गौर  करे , तथा  पूरी   नसीहत  से  इसे  अपना  लें  तो   कितना  सूंदर  और  स्वच्छ  होगा  हमारा  समाज  
तब ना कोई माँ-बाप अपराधी होंगे, ना किसी कन्या संतान को धरती पर आने से पहले जाना होगा। स्त्री इस समाज में वो सम्मान प्राप्त करेंगी जिसके वो लायक हैं। क्या हम समाज में परिवर्तन लाने के लिए इतना नहीं कर सकते ? क्या एक भाई अपनी एक बहन की जिम्मेदारी नहीं उठा सकता ?    
क्यों नहीं।     
जिम्मेदारी जरूर उठा सकता हैं, बस समाधान पर अमल करने की जरूरत हैं।     
आओ  हम  सब  मिल  कर  करें  एक  ऐसे  समाज  का  निर्माण  जहाँ  हर  बहन  सुरक्षित  हो , हर  बेटी  सुरक्षित  हो , हर  स्त्री  सुरक्षित  हो।         

समाजिक प्राणी होने के नाते हमारा ये कर्तव्य हैं तथा अपने कर्तव्य का पालन करना हमारा पहला धर्म। विश्वास दिलाये समाज की कुरीतियों से डरे उन माँ-बाप को, अपराध करने की कोई आवश्यकता नहीं। परन्तु यह लेख उन माँ-बाप के भावनाओं को उजागर करने की कोशिश कर रहा जो समाज की कुरीतिओं से परेशान हैं ना कि उनका जो आज भी लक्ष्मी सामान कन्या संतान को बोझ समझते हैं।   
एक  नवीन  समाज  में  हर  कन्या  सुरक्षित  हैं  क्योंकि  उसके  पास  हैं  एक  भाई  का  सुरक्षा  कवच  | 
   


इस  रक्षाबंधन  का  सन्देश  यही  हो , हम  निर्माण  करे  एक  स्वच्छ  व  सुरक्षित  समाज  का     
       रक्षाबंधन की आप सभी को हार्दिक शुभकामनाएँ। 






12 Comments

  1. Happy Rakshabandhan di..
    Wonder blog with all the authentic content..
    Keep going di.

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  2. बहुत ही सुंदर संदेश दिया है आपने रक्षाबंधन के शुभ अवसर पर।।👍👍👍
    आपको और आपके परिवार को रक्षाबंधन की ढेर सारी शुभकामनाएं ‌!!!!

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  3. Nice blog on the occasion of Raksha Bandhan...

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  4. बहुत ही सुन्दर पंक्तियां एवम उच्च कोटि का प्रकरण, जिस तरह से आपने रक्षा बन्धन के संदर्भ में इतिहास से लेकर वर्तमान तक के परिदृश्य को एक ही मोती में पिरोने का प्रयास किया है वह निस्संदेह प्रशंसनीय एवम सराहनीय है नारीत्व एक शक्ति है जिसकी महिमा को विरला ही समझ पाया है किन्तु हमें यह भी सुनिश्चित करना होगा कि और भी लोग ऐसी मानसिकता का अनुसरण करें तथा समाज को स्त्री के रूप में भविष्य में एक मजबूत एवम समृद्ध नेतृत्व प्रदान करें इस तरह की उपयोगी और महावपूर्ण जानकारी साझा कराने हेतु आपका आभार तथा अनुज का नमस्कार स्वीकार करें सधन्यवाद आपका अनुज (सुदेश कुमार)

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