गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें।

गणेश चतुर्थी    

हर साल भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को गणेश चतुर्थी मनाई जाती है ।  गणेश भगवान की आराधना से सभी दुखों का नाश होता है। घर में समृद्धि आती है और परिवार में प्रेम बढ़ता है।  साथ ही लाते हैं सुख, रिद्धि-सिद्धि, शुभ-लाभ, सफलता, प्रगति तथा आरोग्य।    


 मान्तया है कि किसी भी शुभ काम की शुरुआत श्री गणेश के नमन के साथ किया जाता है. आज गणेश चतुर्थी है, आज शुरुआत करनी है हमें एक नये मंजिल को तलाशने की जो दूर तो है परन्तु अगर ठान लिया जाये तो जरूर मिलेगी।  आज शुरुआत करनी है खोज ऐसे मुकाम की जहाँ हरएक इंसान सुरक्षित होगा।  क्या वृद्ध , क्या युवा, क्या स्त्री, क्या बालपन।  निर्माण हो एक ऐसे समाज का जहाँ हर कोई सुरक्षित हो , समृद्ध हो, खुश हो, स्वास्थ्य हो। जहाँ हर एक पे असीम कृपा बरसे भगवान गणेश जी की।  विग्न्य हर्ता हरे सारे क्लेश, मिलकर करे हम यहाँ प्रवेश।      

मंगलमूर्ति से हम करे कामना, शुभ आशीष तुम ले के आना। बरसा के खुशियों की बौछार, यही रहना तू  कभी ना जाना।    

जैसा कि हम सब अवगत है, इस लेख में परंपरा के साथ एक ऐसी विचार रखने की कोशिश की जाती हैं जो विचारणीय तो होता है परन्तु असकर किसी का ध्यान उस और नहीं जाता। आइये देखें, गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर पर क्या नया विचार किया जा सकता हैं जो जनहित में हो साथ ही साथ श्री गणेश भी उस विचार से प्रसन्न हो।    


सर्वप्रथम अगर इस प्रतिमा को ध्यान से देखा जाये तो श्री गणेश की कान तथा उदर बड़ा है। क्या सन्देश छुपा हैं इस में। आइये विचार करे।   

महाभारत के एक प्रशंग में महात्मा विदुर ने कहा था, एक ही बात अगर दो लोगों द्वारा कही जाएं तो उस बात का अर्थ बदल सकता है , इसलिए दूसरों की कही बात को बोलने से पहले एक बार जरूर सोचें तथा सामान अर्थ रखने की कोशिश करें।    

गणपति जी की इस प्रतिमा से ये सीख मिलती हैं की कान बड़ा रखें जिससे आप दूसरों की बात अधिक सुनें। कई  बार लोगों में इतना धैर्य नहीं होता कि वह दूसरों की कही बातों को पूरा सुने, मानना तो दूर। आज से यह प्रयास अवश्य करें।  उदर  बड़ा से हमें यह सीख मिलती हैं कि दूसरों की सुने जरूर परन्तु अपनेआप में ही रखें। जैसा की वर्णित है, एक बात को अगर दो लोगों द्वारा बोली जाये तो अर्थ बदल जाता हैं इसलिए जितना जरूरत हो उतना ही बोले। अगर एक नजर मात्र देख ली जाये प्रतिमा तो हमें जीवन की इतनी बड़ी सीख मिलती हैं इसलिए तो गणेश जी को विग्नहर्ता कहा गया हैं। नमन हैं हमारा, मंगलमूर्ति को.     

 

कहा जाता हैं, शिव परिवार को नमन करने से हमारा परिवार भी खुश रहता हैं  तथा एकजुट रहता हैं।  अपने परिवार का ख्याल रखें, यह नमन हैं श्री गणेश को।    

हमें आज शुरुआत करनी होगी ऐसे समाज की, जहाँ हर वो बात का पालन किया जाये जो श्री गणेश कहना चाहते हैं, अपनी प्रतिमा के द्वारा तथा अपने कर्मो के द्वारा।    

मान्यता है कि गणेश जी को लड्डू तथा दूर्वा बहुत प्रिय है। क्या नया सन्देश छिपा है इस में। लड्डू मीठा होता है, जहां भी मीठी वस्तु की चर्चा हो वहा लड्डू का नाम ना आये ये तो असंभव है।  गणेश जी को मीठा पसंद है, अर्थात अपना चरित्र मीठा रखें। मीठा बोले, मीठा पसंद करें , मीठा ही माहौल बनायें।  दूर्वा उन्हें पसंद है अर्थात हरियाली अर्थात पर्यावरण। हमें यह सन्देश मिलता है कि हमें पर्यावरण का ख्याल सर्वप्रथम करना चाहिए। कुछ भी ऐसा ना करे जिससे इस प्रकृति को नुकसान हो. प्रकृति प्रेमी बनें, पर्यावरण प्रेमी बनें।  

 उन्हें रिद्धि-सिद्धि तथा बुद्धि का प्रतीक माना जाता हैं।  आइये हम नमन करें और उनसे ऐसी बुद्धि माँगे जो हर एक मनुष्य को सफलता की ओर ले जाये, बुद्धि ऐसी हो जो सदैव दूसरों के हित में ही हो।     

आज आशीर्वाद मिले ऐसे समाज का, जहाँ हर बचपन खुशियों से भरा हो।  हर कन्या सुरक्षित हो।  हर स्त्री को सम्मान मिले। हर व्यक्ति शिक्षित हो। हर युवा आत्मनिर्भर हो।  हर माँ-बाप के सर पे छत हो। तथा कोई कोई व्यक्ति विशेष नहीं किन्तु हर एक इंसान पर कृपा बरसे उनकी। क्युकि समाज का निर्माण किसी विशेष से नहीं अपितु हरएक से होता हैं तथा हमें वही समाज चाहिए।  आइये आज सब मिल कर संकल्प लें तब तक साथ चलते रहने की जब तब हमें वो सुरक्षित तथा समृद्ध समाज मिल न जाएं।    

एक  शुभ  शुरुआत  करने  के  लिए  गणेश  चतुर्थी से  अच्छा  दिन  कोई  और  हो ही  नहीं  सकता , आज  से  शुरुआत  करें  एक  नए  यात्रा  की।  नमन  हैं  मंगलमूर्ति  को।    

मंजिल दूर जरूर हैं, किन्तु शुरुआत तो करनी होगी।  मिल कर चलेंगे तो जल्दी मिलेगी, जरूर मिलेंगी। आवयश्कता हैं एक ढृढ़  संकल्प की।    

गणेश चतुर्थी का यह पावन पर्व आपके जीवन में खुशहाली, सुख-समृद्धि, स्वास्थ्य तथा शुभ आशीष लाये। 

गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें। स्वस्थ  रहें, सुखी रहें, प्रसन्न रहें। 








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