सरस्वती पूजा

 सरस्वती पूजा 

बसन्त पंचमी का आगमन है। माहौल में मानो एक उत्साह सी छा गई है। लोग माता सरस्वती की पूजा आराधना की तैयारी में लगे है, जिसमे बच्चों काफी उत्साहित है। चूँकि विद्या की देवी माँ शारदे की पूजा है तो विद्यार्थी में उत्साह छाई है। यद्यपि बच्चे ज्यादा उत्सुक है तथापि सीखने की उम्र खत्म कहाँ होती है।  आये हम भी शामिल हो माता शारदे की आराधना में।      


हिन्दू धर्म के अनुसार बसंत पंचमी के दिन माता सरस्वती का जन्म हुआ था। माता सरस्वती के चार हाथ है, एक हाथ में वीणा, दूसरे हाथ में पुस्तक, तीसरे हाथ में माला तथा चौथा हाथ वर मुद्रा में है।   

मंत्र 

ॐ ऐह महसरस्वत्यै नमः।   


 

मान्यता है की माता सरस्वती के साथ श्री गणेश जी की भी पूजा की जाती है। शुभ कार्य की शुरुआत श्री गणेश की पूजा से की जाती है।   
गणेश जी को बुद्धि के देवता की संज्ञा दी गयी है तथा माता सरस्वती ज्ञान की देवी है।  इसलिए आज के दिन श्री गणेश तथा माता सरस्वती की आराधना करें।    

माता सरस्वती को स्वेत वसनं कहा जाता है क्योंकि माता स्वेत वस्त्र धारण की हुई है।  पूजा में स्वेत वस्त्र धारण करें तथा पीले फूल अर्पित करें। 

आप सब को बसंत पंचमी तथा सरस्वती पूजा की हार्दिक शुभकामनायें। 


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