माता महागौरी - नवरात्रि का आठवाँ दिन।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें(माता महागौरी)
नवरात्रि का आगमन हो चुका है। दसों दिशाएँ भक्तिमय हो गयी है। मन में आनंद की अनुभूति हो रही है। आइये इस शुभ अवसर पे माता रानी को नमन करे तथा धन्यवाद दे उन्हें उनकी उपस्थिति हेतु। आज नवरात्रि का आठवाँ पूजा है। आज माता महागौरी की पूजा करते है। यूँ तो माता के जाने कितने रूप हैं। हर जगह माता विद्यावान हैं तथा उनकी कृपा से ही हम जन जीवन जी रहे है परन्तु नवरात्रि के शुभ अवसर पे हम माता के 9 रूप की आराधना करते है। इसी क्रम में आठवें दिवस में हम माता महागौरी पूजा करते हैं।
नवरात्रि के आठवें दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। माँ गौरी की पूजा करने से दुःख और परेशानी पास नहीं आती है। माता सौभाग्य, धन-सम्पदा, सुख शांति प्रदात्री हैं। मान्यता है कि शादीशुदा महिलायें अगर माता को चुनरी अर्पित करती हैं तो उनके सुहाग की रक्षा होती है। माता के पूजन से बिगड़े काम बन जाते है और उनकी उपासना से फल शीघ्र प्राप्त होता है। माता के सभी वस्त्र और आभूषण सफ़ेद है इसलिए उन्हें स्वेतांबरधरा कहा जाता है।
आराधना मन्त्र
उपासना मन्त्र
या देवी सर्वभूतेषु माँ गौरी रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः।
हे माँ, सर्वत्र विराजमान और माँ गौरी के रूप में प्रसिद्ध अम्बे, आपको मेरा बार-बार प्रणाम है। हे माँ, मुझे सुख-समृद्धि प्रदान करें।
बीज मन्त्र
कथा
अपने पूर्व जन्म में माँ ने भगवान शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए कठोर तपस्या की थी जिससे उनका शरीर काला पड़ गया था। देवी की तपस्या से प्रसन्न हो कर भगवान शिव उन्हें स्वीकार किया तथा शिव जी ने उनके शरीर को गंगा जल से धोया तब देवी विद्युत के सामान कांतिमान गौर वर्ण की हो गई। और उनका नाम गौरी पड़ा। महागौरी रूप में देवी करुणामई, स्नेहमई तथा शांत दिखती हैं।
एक अन्य कथा के अनुसार, एक सिंह बहुत भूखा था और वह भोजन की तलाश करते हुए वहाँ पहुंचा जहाँ माता तपस्या कर रहीं थी। देवी को देखकर सिंह की भूख और बढ़ गई और सिंह माता के तपस्या पूरी होने का इंतजार करने लगा। इस इंतजार में वह काफी कमजोर हो गया। माता जब तपस्या से उठी तो सिंह की दशा देख कर उन्हें दया आ गई। माता ने उसे अपनी सवारी बना ली क्योकि एक प्रकार से सिंह ने भी माता के साथ तपस्या की थी। इसलिए माता महागौरी का वहां बैल और सिंह दोनों ही है।
रंग: गुलाबी
पूजा विधि
माता की उपासना सफ़ेद वस्त्र धारण कर करें , सफ़ेद पुष्प तथा सफ़ेद मिठाई अर्पित करें। माता के मंत्र की जप करें। अष्टमी तिथि को कन्याओं को भोजन कराने की परम्परा है। माता को स्मरण करें तथा कपूर और घी से आरती करें।
माता महागौरी विशेष फलदाई हैं। उनकी कृपा हम सब पर बनी रहे, माता दुर्गा के महागौरी रूप को सत सत बार नमन।
नवरात्रि की हार्दिक शुभकामनायें।
4 Comments
Jai mata di
ReplyDeleteJai mata di
ReplyDeleteJai mata di🙏🙏🙏
ReplyDeleteJai mata di
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