दीपावली : अंधेरे पर प्रकाश की जीत।

दीपावली : अंधेरे पर प्रकाश का जीत।   

दीपावली का अर्थ है : दीपों की श्रृंखला। दीपावली का पर्व कार्तिक मास में मनाया जाता है। कार्तिक मास के अमावस्या के दिन मनाया जाता है। दीपावली एक दिवसीय पर्व नहीं है बल्कि पाँच दिन मनाया जाता है। जिसमे धनतेरस, नरक चतुर्दशी, दीपावली, गोवर्धन पूजा तथा भाई दूज शामिल है। हरएक दिन का अलग अलग महत्त्व है। धनतेरस में बरतन, जेवर आदि खरीदने का प्रावधान है। नरक चतुर्दशी के दिन यम देव की पूजा की जाती है। दीपावली अंधेरे पर विजय प्राप्त करने का पर्व है। गोवर्धन पूजा में गौ माता की पूजा की जाती है। तथा भाई दूज में बहन अपने भाई को तिलक लगा कर मंगल कामना करती है।   



दीपावली पर्व की अलग अलग मान्यता है। रामायण के अनुसार 14 वर्ष पश्चात श्री राम चंद्र जब वन से अयोध्या लौटे थे तब अयोध्या वासियों ने उनके स्वागत में पुरे अयोध्या को दीप जला कर सजाया था। महाभारत के अनुसार दीपावली के दिन 12 वर्ष के वनवास तथा एक वर्ष के अज्ञात वास के बाद पांडव घर लौटे थे।  दीपावली के दिन धन की देवी माता लक्ष्मी की पूजा का भी प्रावधान है।  अलग अलग प्रदेश में अलग अलग मान्यता है।   



दीपावली पर्व में साफ सफाई की विशेष मान्यता है। यहाँ एक बात विचारणीय है जो मुझे साझा करना है। इस दीपावली हम साफ करे अपने मन को.    

 दीपावली : अंधेरे पर प्रकाश की जीत। 


अंधा बस वो नहीं जिसे भगवान ने आँखे नहीं दी, अँधा तो वो भी है जो सब देख कर अनदेखा कर दे। महाभारत की एक बात मुझे याद आती है जब कृष्ण के मित्र सुदामा अपनी आँखे नहीं होने पर दुखी थे तो कृष्ण ने क्या खूब कहा कि मित्र दुखी मत हो, जिसे आँखे है वो भी तो नहीं देख पाता।  

जिसे आवाज नहीं क्या वही बस गूंगा है ? नहीं, गूंगा तो वो भी है जो सच न बोल सके, अपनी छोटी सी स्वार्थ के लिए चुप रह कर सब देखता जाये, सब सहता जाये , झूठ का साथ दे।     

जो सुन न सके वो तो अपाहिज है परन्तु जो सुन कर भी अनसुना कर दे उसे क्या नाम दिया जाये।    

ऐसी जाने कितने उदहारण है परन्तु मेरा उदेश्य है समाज के मन की दीप को जलना।  वरना एक रात तो दीप की रोशनी से सारा जग जगमगा जायेगा किन्तु अगले ही दिन से फिर वही अंधेरा, मन में अँधेरा, अत्याचार का अंधेरा, स्त्री सम्मान काअंधेरा।  समय है एक ऐसी रौशनी लाने कि जो प्रकाशित हो मेरे मन में, आप के मन में, हमसब के मन में।   


आये इस दीपावली दीप की श्रृंखला के साथ मन में अच्छाई की श्रृंखला बनाये। तभी अंत होगा मन के अंधकार का तथा होगी अँधेरे पर प्रकाश की जीत।   

आशा है आप सब दिव्यांग जनों का आदर करेंगे तथा एक प्रकाशित समाज के निर्माण में भागीदार बनेंगे।       




एक और विचार जो मुझे साझा करना है, आइये देखें। आप ने दीपावली पर अतिशवादी करते देखा होगा, सभी लोग पटाखे जलाते है। प्रदुषण पर अनेक चर्चा होती ही रहती है तो आज एक अलग विचार करते है।    

दीपावली पर मिट्टी से जुड़ने की कोशिश करें। मिट्टी की दीप जलायें जिसे एक कुम्हार ने बड़े लगन तथा मेहनत से बनाया है। यु तो हम प्रकाश की जीत का जश्न मनाते है परन्तु दिखावे के अँधेरे फसें रहते है। आप आधुनिक उपकरण से सजावट जरूर करें परन्तु मिट्टी की बनी सामान जरूर शामिल करें।   

मिट्टी का महत्त्व सोने, चाँदी तथा अन्य आभूषण से कही ज्यादा है। जरूरत कि सारी चीजें आनाज, पानी, पेड़-पौधे हमे मिट्टी से ही मिले है। सोचें कितना अनमोल है ये। 

धरती माता ने हम सभी प्राणी को आश्रय दिया है। इसलिए मिट्टी से जुड़े।     
पारम्परिक तरीके से दीपावली जरूर मनायें, साथ ही कुछ सार्थक बातें भी जोड़ ली जायें तो बात ही कुछ और होगी। 




आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनायें। आप का जीवन सदैव ही सफलता, ख़ुशी तथा अच्छाई से प्रकाशित हो। शुभ दीपावली। 










4 Comments