होली के रंग

 होली   

होली शब्द सुनते ही मन में उत्साह और उमंग की लहर छा जाती है। बसंत ऋतू के अंत में यह त्योहार एक उत्साह के साथ आता है। बहुत जगह तो एक सप्ताह पहले से ही इस त्योहार की तैयारी होने लगती है। लोग तरह तरह के रंग से खूब खेलते है। सारा वातावरण रंग बिरंगा हो जाता है। होली को किसी परिभाषा की जरूरत है ही नहीं, नाम ही काफी है होली का।  उत्साह, उमंग, ख़ुशी तथा उल्लास का दूसरा नाम है होली।    



होली को और वर्णन की आवश्कता नहीं, आइये नज़र डालें समाज के कुछ ऐसे रंग पे जहाँ किसी की नज़र नहीं जाती। होली तो साल में एक बार आती है तथा चली जाती है परन्तु समाज के कुछ ऐसे रंग है तो हमारे जीवन सदैव रहती है।  आइये नज़र डालें एक बार उन पर भी। वो रंग है गरीबी का, बेरोजगारी का, अशिक्षा की, नारी अपमान का तथा आम इंसान के जीवन की रोज की परेशानी की।    

गरीबी एक ऐसा रंग है जो एक बार चढ़ जाये तो जीवन उदास हो जाती है पर क्यों न सब मिल कर इस रंग को मिटाने की कोशिश करे। अकसर इस समाज में गरीबी को निचा दिखाया जाता है, उन्हें किसी की समय पे मदद नहीं मिलती। सोचें जरा क्या ऐसा होना चाहिए ? क्या जरूरत पड़ने पर हमें मदद के लिए हाथ आगे नहीं बढ़ाना चाहिए ? क्या गरीबी इंसान की पहचान है ?  नहीं, बिल्कुल नहीं बल्कि यह एक परिस्थिति है। कोशिश करें इस रंग को उतारने की। इस होली यह प्रण करें, होली का रंग कभी न उतरे और गरीबी का रंग कभी न चढ़े।      



एक रंग है बेरोजगारी की जो दिन व दिन बढ़ती ही जा रही है और यह रंग धीरे धीरे समाज को खोखला कर रहा है। जरूरत है ऐसे बेरंग करने की इस होली जितना हो सके कोशिश करें इस रंग को बदरंग करने की।   

रंग अशिक्षा की भी एक दीमक है जो समाज में न हो तो समाज कभी आगे नहीं बढ़ सकती।  इसलिए कोशिश यही हो की देश का हर बच्चा विद्यालय जाये तथा शिक्षा को समझे तथा सच्ची शिक्षा को अपने जीवन में उतारे।     

रंग चढे इस समाज पर नारी सम्मान का जहाँ हर बेटी सुरक्षित हो तथा पढ़े तथा आगे बढ़े , तभी होगा इस समाज का विकास। 

यूँ तो आम जीवन की समस्या कभी ख़त्म नहीं होती परन्तु अगर हर कोई एक दूसरे की मदद करें तो समस्या कम जरूर हो सकती है।    


आप सब को होली की शुभकामनाएं। 




6 Comments

  1. बहुत अच्छा वर्णन होली के रंगों के माध्यम से समाज के अच्छे बुरे रंगों का किया गया है | समाज में दागनुमा बुरे रंगों गरीबी, अशिक्षा आदि को दूर करने तथा बेटियों की सुरक्षा शिक्षा आदि अच्छे रंगों से रंगने का आह्वान बहुत सराहनीय है | शुभ होली |

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  2. बहुत सुन्दर लेख। समाज मे गरीबी, अशिक्षा,बेरोजगारी, कुसंस्कारों का जो रंग भरा हुआ है आईये---
    उसे धोकर अपने व्यक्तित्व को,अपने समाज को इन्द्रधनुषी रंगों से सजाने और सुंदर बनाने का संकल्प करें और प्रेरणा लें।

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