बसंत ऋतु
बसंत ऋतू सदैव सन्देश देती है कि हर दुःख के बाद सुख का आगमन होता है बिल्कुल वैसे जैसे पतझड़ के बाद बसंत ऋतू का।
अंत सदैव ही दुखदाई होती है, जैसा भी हो जो भी हो दुःख होता है। परन्तु अंत अपने साथ एक सन्देश भी लाती है कुछ नई शुरुआत की। हाँ, ये सत्य है कि धीरज धरने की भी एक सीमा है तथा हम मानव मन से बहुत चंचल है परन्तु जिस प्रकृति ने हमारा मन चंचल बनाया उसी ने अपने ऋतू चक्र द्वारा यह सन्देश दिया है की किस प्रकार सही समय पर नई शुरुआत हो ही जाती है। बिल्कुल उसी प्रकार जैसे पतझड़ में सब सुना लगता है पर बसंत आते ही फिर से सब हरा भरा हो जाता है।
प्रकृति का वर्णन शब्दो में असंभव है, जीवन की सभी समस्याओं का प्रश्न भी प्रकृति में ही है तथा उत्तर भी प्रकृति में ही। जरूरत है बस समझने की।
बसंत ऋतू
बसंत ऋतू में मौसम इतना सुहाना होता है, न गर्मी न सर्दी। तभी तो ऋतू राज कहा गया है उन्हें। वैसे मानव को भी अपने जीवन में बसंत ऋतू से यह बात तो जरूर सीख लेनी चाहिए, न ज्यादा गर्म न ज्यादा ठंडा। कहने का तात्पर्य है न ही ज्यादा गुस्सा न ही ज्यादा भावुकता। जीवन बहुत ही शांत और सुन्दर हो जाएगी बिल्कुल बसंत जैसी।
सुन्दर सुन्दर रंग बिरंगे फूल, फल के बीज तथा हरी हरी नए पत्ते की खुशबू तथा सुबह सुबह चिड़ियों की चहक बसंत मौसम को बहुत ही पवन तथा मनोरम बनती है। अगर संभव होता तो हम बसंत को कभी ख़त्म होने ही नहीं देते परन्तु ऐसा हो नहीं सकता क्यूँकि प्रकृति की यही नियम है।
आगमन होगा तो प्रस्थान तो होगा ही।
बसंत ऋतू जब तक रहती है, हमें आनंद ही देती है। होली का उत्साह भी इस मौसम को और बसंत की खूबसूरती जीवन को सुन्दर बना देती है।
बसंत ऋतू की तरह ही आप सब का जीवन सदैव सुन्दर तथा सुगन्धित बना रहे। हार्दिक शुभकामनायें।
3 Comments
Wow ❤
ReplyDeleteNice 👌
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