महाशिवरात्रि पूजा

 महाशिवरात्रि पूजा 

महाशिवरात्रि की पूजा महादेव शिव को समर्पित है। महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्थी को मनाया जाता है। मान्यता है कि महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती तथा शिव जी का विवाह हुआ था। एक और मान्यता के अनुसार इस दिन भगवन शिव नीलकंठ के नाम से प्रशिद्ध हुए थे।   

शिव ईश्वर का रूप है जिसे आदिदेव कहा जाता है, जिसका कोई अंत नहीं है। त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु तथा महेश हैं, जिसमे महेश शिव जी को कहा गया है। यूँ तो ब्रह्मा को सृजन का देवता, विष्णु को संचार का तथा महेश को संहार का देवता बताया गया है परन्तु भगवान शिव की पूजा अर्चना बहुत ही सरल तथा फल दाई है।   

भगवान शिव को यु तो प्रलय का देवता कहा जाता है परन्तु उन्हें दयालु की भी संज्ञा दी गयी है। कहा जाता है कि भगवान शिव इतने भोले है कि उन्हें बस जल अर्पित करके भी खुश किया जा सकता है। इसलिए उन्हें हम भोलेनाथ भी कहते है।   


महाशिवरात्रि हर वर्ष फाल्गुन कृष्ण पक्ष चतुर्थी माना जाता है जो भक्त शिवरात्रि को पूर्ण श्रद्धा से निराहार हो कर शिव जी की उपासना करता है, उन्हें वर्ष भर के  पूजन का फल प्राप्त हो जाता है।   

शिव पुराण में वर्णित है, शिव जी के निराकार रूप का प्रतीक शिवलिंग इसी तिथि की निशा में प्रकट हो कर सर्वप्रथम ब्रह्मा तथा विष्णु द्वारा पूजी गयी थी। इस कारण यह निशा महाशिवरात्रि के नाम से प्रशिद्ध हुई। यह दिन माता पार्वती तथा भगवान शिव के विवाह की तिथि के रूप में भी पूजा जाता है।   


महाशिवरात्रि के पवन तिथि पे शिव शिव शंकर की पूजा जरूर करें। पूजा  सदैव ही आंतरिक शांति प्रदान करती है कारण बस इतना है की हमे पूर्ण विश्वास होता है ईश्वर पे।   

भगवान शिव की पूजा की बस काफी नहीं है जरुरत है उनके जीवन से सीख लेने के विशेष आज के समय जहाँ आंतरिक शांति जैसे बातें बहुत कम रह गयी है। लोग परेशान है।  क्यूँ न आज इस पावन दिन में हम कुछ अलग खोजें भगवान शिव की भक्ति में।   

हमें शिव के व्यक्तित्व से यह सीख मिलती है की किस तरह समाज के रस्मों रिवाज के साथ साथ अपने घर परिवार को भी चलाया जाये तथा आंतरिक शांति भी प्राप्त हो। जितना रहे उतना में ही खुश रहे, ज्यादा तो ज्यादा, कम तो कम। जिस प्रकार शिव जी मात्र जल से भी खुश हो जाते है। वो किसी व्यक्ति विशेष के देवता नहीं है बल्कि उन्हें सभी प्यारे है। इसी प्रकार हमें सब के साथ समान व्यवहार करना चाहिए।  उच्च-नीच, आमिर-गरीब खूबसूरत-कुरूप तथा न जाने कितने पैमाने पे ये समाज बँटी हुई है।  आज जरूरत है उन सोच को ख़त्म करने की , तभी होगा एक स्वच्छ तथा विकसित समाज का निर्माण और होगी शिव जी की पूजा सार्थक। 

महाशिवरात्रि की पूजा पुरे देश में बड़े हर्ष उल्लास से मनाई जाती है। आप भी शामिल हो तथा इस अवसर का आनंद ले। आप सब पे भगवान शिव की कृपा बनी रहें।  

हार्दिक शुभकामनाएं। 





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